जादू की छड़ी

यह कहानी है रोहन नाम के एक साधारण से लड़के की, जो एक छोटे से गांव में अपने माता-पिता के साथ रहता था। रोहन का परिवार बहुत गरीब था, और उसे अक्सर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उसकी उम्र करीब 12 साल थी, लेकिन उसकी समझ और सोच किसी बड़े व्यक्ति से कम नहीं थी। रोहन का एक सपना था – वह अपने परिवार की गरीबी को दूर करके एक दिन उन्हें सुखी जीवन देना चाहता था। लेकिन कैसे? यह सवाल हर दिन उसके दिमाग में घूमता रहता था।

एक दिन, रोहन जंगल में लकड़ियाँ इकट्ठा करने गया। चलते-चलते वह काफी दूर निकल गया और एक पुराने, जर्जर से मंदिर के पास पहुँचा। यह मंदिर बहुत पुराना था और गांव में इसे एक रहस्यमयी जगह माना जाता था। लोगों का मानना था कि यहाँ कुछ अजीब और जादुई घटनाएँ होती हैं, इसलिए कोई भी इस मंदिर के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था। लेकिन रोहन को डर नहीं लगा, वह साहसी था और उसके दिल में जिज्ञासा भरी थी।

जैसे ही वह मंदिर के अंदर पहुंचा, उसने देखा कि वहाँ एक बूढ़ा साधु बैठा हुआ था। उसकी लंबी सफेद दाढ़ी और चमकती आँखें उसे किसी जादूगर की तरह दिखा रही थीं। साधु ने रोहन को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “तुम यहाँ क्यों आए हो, बालक?”

रोहन ने धीरे-धीरे कहा, “मैं बस लकड़ियाँ इकट्ठा करने आया था, लेकिन रास्ता भटक गया।”

साधु ने उसकी बात सुनी और उसकी आंखों में कुछ खास देखा। फिर उसने कहा, “तुम एक साधारण बालक नहीं हो। तुम्हारे अंदर कुछ खास है। क्या तुम अपनी किस्मत बदलना चाहते हो?”

रोहन चौंक गया। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि कोई उससे इस तरह बात करेगा। उसने धीरे से कहा, “हाँ, मैं अपने परिवार की गरीबी दूर करना चाहता हूँ, लेकिन मुझे नहीं पता कि कैसे।”

साधु ने एक गहरी सांस ली और अपनी छड़ी उठाई, जो पास ही पड़ी थी। वह छड़ी साधारण नहीं थी, बल्कि उसमें एक अनोखी चमक थी। उसने छड़ी को रोहन के सामने रखते हुए कहा, “यह **जादू की छड़ी** है। यह तुम्हारी हर इच्छा को पूरा कर सकती है, लेकिन इसके लिए तुम्हें इसके जादू का सही उपयोग करना आना चाहिए। इसका जादू तभी चलेगा, जब तुम इसे भलाई के लिए इस्तेमाल करोगे।”

रोहन ने आश्चर्य से छड़ी की ओर देखा और पूछा, “क्या मैं इससे सच में अपनी गरीबी दूर कर सकता हूँ?”

साधु ने सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, लेकिन याद रखना, अगर तुम इसका गलत इस्तेमाल करोगे, तो यह जादू हमेशा के लिए खो जाएगा।”

रोहन ने छड़ी को पकड़ा और साधु को धन्यवाद दिया। उसके दिल में उत्साह था कि अब वह अपने परिवार की मदद कर सकेगा। वह छड़ी लेकर सीधे घर की ओर भागा। घर पहुँचते ही उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, देखो, मुझे एक जादू की छड़ी मिली है! अब हम अमीर हो सकते हैं।”

माँ ने उसकी बातों को हल्के में लिया और हंसते हुए कहा, “रोहन, बेटा, जादू की छड़ी जैसी चीज़ें केवल कहानियों में होती हैं। असल में हमें मेहनत से ही सब कुछ हासिल करना होता है।”

लेकिन रोहन को पूरा विश्वास था कि यह छड़ी असली है। उसने छड़ी को हाथ में पकड़कर अपनी पहली इच्छा मांगी, “मैं चाहता हूँ कि हमारे घर में कभी खाने की कमी न हो।”

जैसे ही उसने यह कहा, एक चमकदार रोशनी कमरे में फैल गई। अचानक, उनके घर में खाने-पीने की चीज़ों से भरे कई थैले आ गए। उसकी माँ ने आश्चर्य से यह सब देखा और अब उसे यकीन हो गया कि यह कोई साधारण छड़ी नहीं है।

रोहन ने सोचा कि अगर इस जादू की छड़ी से वह अपने परिवार की भूख मिटा सकता है, तो क्यों न और भी बड़े काम किए जाएं? अगले दिन, उसने छड़ी से फिर से एक इच्छा मांगी, “मैं चाहता हूँ कि हमारे पास बड़ा घर हो और हम अमीर बन जाएं।”

जैसे ही उसने यह कहा, उनका पुराना कच्चा मकान एक बड़े और सुंदर महल में बदल गया। उनके पास नौकर-चाकर आ गए, और वे अब गाँव के सबसे अमीर लोगों में गिने जाने लगे। रोहन और उसका परिवार अब आरामदायक जीवन जीने लगे।

लेकिन कुछ समय बाद, रोहन को महसूस हुआ कि सिर्फ अमीरी से हर समस्या का हल नहीं हो सकता। गाँव के बाकी लोग अभी भी गरीबी में जी रहे थे, और अब वे उनसे दूर-दूर रहने लगे थे। रोहन को यह देखकर दुख हुआ कि जो लोग पहले उसके परिवार के साथ थे, अब वे उनसे दूरी बनाने लगे थे।

एक दिन, रोहन गाँव के बाहर घूमने गया और उसे एक गरीब बच्चा दिखा, जो भूख से तड़प रहा था। उसने सोचा कि अगर वह अपनी छड़ी से उसकी मदद करे, तो इससे उस बच्चे की ज़िंदगी बदल जाएगी। उसने छड़ी उठाई और इच्छा की, “मैं चाहता हूँ कि इस बच्चे के पास खाना और कपड़े हों।”

लेकिन इस बार छड़ी से कोई जादू नहीं हुआ। रोहन ने फिर से कोशिश की, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। वह घबरा गया और दौड़ता हुआ उस साधु के पास गया, जिससे उसने छड़ी पाई थी। उसने साधु से पूछा, “यह जादू की छड़ी काम क्यों नहीं कर रही?”

साधु ने शांत होकर कहा, “तुमने अपनी जरूरतों से ज्यादा मांगा, और जादू की छड़ी का गलत इस्तेमाल किया। इसका जादू तभी चलता है जब तुम इसे किसी भलाई के काम में लगाओ, न कि खुद को अमीर बनाने के लिए।”

रोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने साधु से माफी मांगी और कहा, “मुझे नहीं पता था कि मैंने इसे गलत तरीके से इस्तेमाल किया। क्या मैं अब भी इसे ठीक कर सकता हूँ?”

साधु ने कहा, “अगर तुम सच में दूसरों की मदद करना चाहते हो, तो यह छड़ी फिर से काम करेगी। जाओ, और इसे सही तरीके से इस्तेमाल करो।”

रोहन घर लौटा और अब उसने छड़ी का इस्तेमाल केवल दूसरों की भलाई के लिए करना शुरू किया। उसने गाँव के सभी गरीब लोगों की मदद की, उनके लिए शिक्षा और भोजन की व्यवस्था की, और धीरे-धीरे गाँव की हालत सुधार दी। अब लोग फिर से रोहन के परिवार के पास आने लगे, और उनके दिलों में उनके लिए सम्मान बढ़ गया।

इस तरह, रोहन ने सीखा कि असली जादू किसी छड़ी में नहीं, बल्कि हमारे अच्छे कर्मों और दूसरों की मदद करने की भावना में होता है।

सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमारे पास शक्ति या साधन हैं, तो हमें उनका उपयोग सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए। असली जादू दूसरों की मदद करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में है।

"मैं एक दसवीं कक्षा का छात्र हूँ, जो हिंदी साहित्य और कहानियों का शौक रखता हूँ। मेरी वेबसाइट पर आप विभिन्न प्रकार की हिंदी कहानियों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वो प्राचीन लोक कथाएँ हों, प्रेरणादायक कहानियाँ, या मनोरंजक लघु कहानियाँ। मेरा उद्देश्य हिंदी भाषा और उसकी समृद्ध साहित्यिक धरोहर को युवा पीढ़ी के बीच पहुँचाना है, ताकि उन्हें भी इन कहानियों के माध्यम से कुछ नया सीखने और सोचने का मौका मिले।"

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