जादू की मछली

यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ लोग सरल और शांत जीवन व्यतीत करते थे। उसी गाँव में एक गरीब मछुआरा रामू रहता था, जो अपनी पत्नी के साथ छोटी-सी झोपड़ी में रहता था। रामू का गुजारा दिनभर मछलियाँ पकड़ने पर ही निर्भर था। लेकिन कई दिनों से उसकी किस्मत खराब चल रही थी। वह रोज़ समुंद्र किनारे जाता, पर खाली हाथ लौट आता।

रामू की पत्नी गीता भी उसके साथ दुखी थी, लेकिन वह उसे हर रोज़ समझाती, “रामू, चिंता मत करो। हमारी किस्मत भी बदलेगी। मेहनत का फल ज़रूर मिलता है।” लेकिन रामू अब हताश हो चुका था। एक दिन उसने ठान लिया कि वह समुंद्र में तब तक मछलियाँ पकड़ेगा जब तक उसकी जाल में कुछ ना फँस जाए।

अगली सुबह रामू ने अपने पुराने जाल को उठाया और समुंद्र किनारे की ओर चल पड़ा। वह समुंद्र में अपनी छोटी नाव लेकर बहुत दूर चला गया, जहाँ पानी गहरा और शांत था। उसने जाल को पानी में फेंका और धैर्यपूर्वक इंतजार करने लगा। कई घंटे बीत गए, लेकिन जाल में कोई मछली नहीं आई। थकान और भूख से परेशान रामू ने सोचा कि शायद आज भी उसे खाली हाथ लौटना पड़ेगा।

लेकिन जैसे ही उसने जाल को बाहर खींचना शुरू किया, उसे जाल भारी लगा। “शायद इस बार कोई बड़ी मछली फँसी है,” उसने सोचा और पूरे जोर से जाल खींचने लगा। जब जाल पूरी तरह बाहर आया, तो रामू हैरान रह गया। जाल में एक छोटी, सुनहरी मछली फँसी थी, जो बाकी मछलियों से बिल्कुल अलग और चमकदार थी। मछली इतनी सुंदर थी कि रामू उसे देखता ही रह गया।

जैसे ही रामू ने मछली को अपने हाथ में उठाया, मछली ने अचानक बोलना शुरू कर दिया, “हे मछुआरे, मुझे वापस पानी में छोड़ दो। मैं कोई साधारण मछली नहीं हूँ। मैं जादू की मछली हूँ, और अगर तुमने मुझे छोड़ दिया, तो मैं तुम्हारी तीन इच्छाएँ पूरी करूँगी।”

रामू को अपनी कानों पर यकीन नहीं हुआ। एक मछली बोल रही थी और वह भी जादू की! पहले तो उसे लगा कि यह उसका भ्रम है, लेकिन मछली ने फिर कहा, “मैं सच कह रही हूँ। मुझे छोड़ दो, और तुम जो चाहोगे, वह मिलेगा।”

रामू को यह सुनकर बड़ी खुशी हुई। उसने बिना देर किए मछली को वापस पानी में छोड़ दिया। मछली ने वादा किया, “अब तुम घर जाओ। अपनी तीन इच्छाओं के बारे में सोचो और मुझे याद करके जो माँगोगे, वह तुम्हें मिलेगा।”

रामू तेज़ी से अपनी नाव लेकर घर लौट आया। रास्ते भर वह सोचता रहा कि कौन सी तीन इच्छाएँ माँगे। जब वह घर पहुँचा, तो उसकी पत्नी गीता ने उसे खाली हाथ लौटते देखा और निराश होकर बोली, “आज भी कुछ नहीं मिला?”

रामू ने हंसते हुए कहा, “नहीं गीता, आज हमें कुछ बहुत बड़ा मिला है।” और फिर उसने मछली की पूरी कहानी अपनी पत्नी को सुनाई। गीता पहले तो यकीन नहीं कर पाई, लेकिन रामू ने कहा, “चलो, अब हमें तीन इच्छाएँ माँगनी हैं। सोचो, हम क्या माँगे?”

गीता ने थोड़ा सोचकर कहा, “हमारे पास खाना नहीं है। सबसे पहले हम अच्छा खाना माँगते हैं।” रामू ने मछली को याद करके कहा, “हे जादू की मछली, हमें स्वादिष्ट और भरपूर भोजन चाहिए।” और तभी अचानक उनके सामने स्वादिष्ट भोजन से भरी थालियाँ आ गईं। गीता और रामू दोनों चौंक गए, लेकिन खुशी से खाने लगे। दोनों ने पेट भरकर खाया और पहली इच्छा पूरी होने पर खुश हुए।

अब गीता ने कहा, “रामू, दूसरी इच्छा हमें अपने घर के लिए माँगनी चाहिए। हमारी यह छोटी झोपड़ी अब ठीक नहीं है। हमें एक बड़ा और सुंदर घर चाहिए।” रामू ने मछली को याद करते हुए कहा, “हे जादू की मछली, हमें एक सुंदर और बड़ा घर चाहिए।”

जैसे ही रामू ने यह कहा, उनकी पुरानी झोपड़ी अचानक से गायब हो गई, और उसकी जगह एक बड़ा, सुंदर घर खड़ा हो गया। रामू और गीता की आँखों में खुशी के आँसू थे। वे दोनों घर के अंदर गए और हर चीज़ को देखकर हैरान रह गए। अब उनके पास सब कुछ था—सोने के बर्तन, महंगे कपड़े और हर वह चीज़ जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

अब बस एक ही इच्छा बाकी थी। रामू ने सोचा, “क्या माँगूं?” गीता ने उसे सलाह दी, “अब हमें कुछ ऐसा माँगना चाहिए जिससे हमारी ज़िंदगी हमेशा खुशहाल रहे।”

लेकिन रामू अब थोड़ा लालची हो चुका था। उसने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा माँगा जाए जिससे उसे कभी भी काम न करना पड़े और वह राजा की तरह जीवन बिताए। रामू ने कहा, “मैं राजा बनना चाहता हूँ।” गीता ने उसे रोका और कहा, “ऐसा मत करो। हमें अपनी मेहनत की कदर करनी चाहिए। अगर सबकुछ मिल गया तो ज़िंदगी का मज़ा ही नहीं रहेगा।” लेकिन रामू ने उसकी बात न मानी और मछली से तीसरी इच्छा मांगी, “हे जादू की मछली, मुझे इस राज्य का राजा बना दो।”

तभी अचानक सब कुछ बदल गया। रामू ने देखा कि वह फिर से अपनी पुरानी झोपड़ी में था। सबकुछ गायब हो चुका था—खाना, सुंदर घर, और वैभव। वह चौंक गया और समझ नहीं पाया कि ऐसा कैसे हुआ। तभी मछली की आवाज़ फिर से गूँजी, “तुम्हारी तीसरी इच्छा ने तुम्हें वही लौटा दिया जहाँ से तुमने शुरू किया था। तुम्हारी लालच ने तुम्हें कुछ नहीं दिया।”

रामू ने गहरी साँस ली और अपनी भूल समझी। उसने गीता से माफी माँगी और कहा, “मैंने लालच में आकर सबकुछ खो दिया। हमें जो मिला था, वह हमारे लिए काफी था।”

इस घटना के बाद रामू ने सीखा कि संतोष और कड़ी मेहनत ही जीवन की असली संपत्ति हैं। उसने फिर से मछलियाँ पकड़ना शुरू किया, लेकिन अब वह हर छोटी चीज़ की कदर करने लगा। उसकी ज़िंदगी पहले जैसी थी, लेकिन अब वह अपनी मेहनत और संतोष में ही खुशी ढूँढता था।

कहानी का संदेश:

यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच का कोई अंत नहीं होता, और जो हमारे पास है उसकी कदर करनी चाहिए। असली खुशी मेहनत और संतोष में है, न कि अनंत इच्छाओं में।

"मैं एक दसवीं कक्षा का छात्र हूँ, जो हिंदी साहित्य और कहानियों का शौक रखता हूँ। मेरी वेबसाइट पर आप विभिन्न प्रकार की हिंदी कहानियों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वो प्राचीन लोक कथाएँ हों, प्रेरणादायक कहानियाँ, या मनोरंजक लघु कहानियाँ। मेरा उद्देश्य हिंदी भाषा और उसकी समृद्ध साहित्यिक धरोहर को युवा पीढ़ी के बीच पहुँचाना है, ताकि उन्हें भी इन कहानियों के माध्यम से कुछ नया सीखने और सोचने का मौका मिले।"

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