सच्ची मित्रता का मूल्य

यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ दो दोस्त, रोहन और करण, रहते थे। दोनों बचपन से ही एक-दूसरे के साथ खेलते, पढ़ते और हर खुशी-गम में एक-दूसरे का साथ देते थे। उनकी दोस्ती गाँव में मशहूर थी। रोहन एक साधारण किसान का बेटा था, जबकि करण एक अमीर व्यापारी का बेटा था। बावजूद इसके, दोनों की मित्रता में कोई भेदभाव नहीं था।

गाँव के लोग अक्सर रोहन और करण की दोस्ती की मिसाल देते थे। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। सभी लोग उस मेले में जाने के लिए उत्सुक थे। रोहन और करण ने भी मेले में जाने का निर्णय लिया। दोनों ने अपने-अपने परिवार से अनुमति ली और मेले के लिए निकल पड़े।

मेले में पहुँचकर, उन्होंने झूले, खेल और खाने-पीने की चीजों का आनंद लिया। सभी मज़े कर रहे थे, लेकिन करण ने एक सुंदर घड़ी देखी, जो एक दुकान पर रखी हुई थी। उसे वह घड़ी इतनी पसंद आई कि उसने रोहन से कहा, “यार, यह घड़ी कितनी खूबसूरत है! काश मेरे पास पैसे होते, तो मैं इसे खरीद लेता।”

रोहन ने हंसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, हम इसे बाद में खरीदेंगे।” लेकिन करण की आँखों में उस घड़ी की ख्वाहिश थी।

मेले में घूमते-फिरते, अचानक शाम हो गई और दोनों दोस्त अपने घर लौटने लगे। लौटते समय, अचानक एक भयंकर तूफान आ गया। तेज़ हवाएँ चलने लगीं, और बारिश शुरू हो गई। दोनों ने सोचा कि वे जल्दी घर पहुँच जाएं, लेकिन तूफान ने उन्हें रोक दिया।

तूफान के बीच में, करण ने रोहन को कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि अगर हम यहाँ फंस गए तो क्या होगा?” रोहन ने हिम्मत बढ़ाते हुए कहा, “डरने की कोई बात नहीं है। हम मिलकर इससे निपटेंगे।”

जब तूफान थम गया, तो दोनों ने देखा कि वे जंगल में खो गए हैं। वे एक-दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ने लगे। थोड़ी देर बाद, उन्होंने एक सुनसान जगह पर एक पुरानी खंडहर देखी। वहाँ रुककर उन्होंने सोचा कि शायद वहाँ से कोई रास्ता मिल जाए।

खंडहर में पहुँचते ही, उन्हें कुछ अजीब आवाजें सुनाई दीं। उन्होंने देखा कि वहाँ कुछ भूत-प्रेत की कहानियों की तरह अजीबोगरीब चीज़ें थीं। करण ने कहा, “यहाँ कुछ ठीक नहीं है, चलो वापस चलते हैं।” लेकिन रोहन ने कहा, “हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है। हमें यहीं रुकना होगा।”

रात होते-होते, जंगल में अंधेरा हो गया। दोनों दोस्त बहुत डर गए थे। लेकिन रोहन ने करण को हिम्मत दी और कहा, “हम एक-दूसरे के साथ हैं। हमें डरने की जरूरत नहीं है।”

अचानक, उन्हें खंडहर से बाहर से किसी के आने की आवाज़ सुनाई दी। दोनों ने घबराकर एक-दूसरे का हाथ पकड़ा। बाहर जाकर देखा तो एक साधू बाबा खड़े थे। उन्होंने दोनों की हालत देखी और कहा, “बच्चों, तुम यहाँ क्यों खड़े हो? यह जगह खतरनाक है। जल्दी मेरे साथ चलो।”

बाबा ने उन्हें अपने आश्रम में ले जाकर उन्हें गर्मागर्म चाय दी और समझाया, “तुम्हें यहाँ आने से पहले अपने परिवार से अनुमति लेनी चाहिए थी। यहाँ का जंगल खतरनाक है।”

रोहन और करण ने बाबा को धन्यवाद दिया और उनकी मदद से अपने गाँव लौटने का रास्ता पूछा। बाबा ने उन्हें सही दिशा दिखाई और कहा, “ध्यान रखना, सच्ची मित्रता में एक-दूसरे का साथ हमेशा होना चाहिए।”

अगले दिन, जब वे गाँव लौटे, तो उनके परिवार बहुत चिंतित थे। माँ ने रोहन से कहा, “तुमने हमें कितना चिंता में डाल दिया!” करण के परिवार ने भी उसकी परवाह की।

इस घटना के बाद, रोहन और करण ने अपनी दोस्ती को और भी मजबूत बनाने का फैसला किया। उन्होंने सीखा कि सच्ची मित्रता में एक-दूसरे का साथ हमेशा होना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

समय बीतता गया, और वे दोनों बड़े हो गए। करण ने अपने पिता की दुकान में मदद करना शुरू किया, जबकि रोहन ने खेती में अपने पिता का हाथ बटाना शुरू किया। लेकिन उनकी दोस्ती में कभी कोई कमी नहीं आई।

एक दिन, करण के पिता की दुकान पर एक बड़ा नुकसान हो गया। कुछ लोगों ने उनकी दुकान में चोरी कर ली थी। करण बहुत उदास था, क्योंकि उसकी सारी जमा पूंजी चोरी हो गई थी। वह सोचने लगा कि अब उसका व्यापार खत्म हो गया है।

रोहन ने जब यह सुना, तो वह तुरंत करण के पास गया। उसने कहा, “तू परेशान मत हो, मैं तेरे साथ हूँ। हम मिलकर इसका सामना करेंगे।” रोहन ने अपने छोटे से खेत से कुछ पैसों को बचाकर करण की मदद की। उसने करण के व्यापार को फिर से खड़ा करने में मदद की।

समय के साथ, करण की दुकान फिर से चलने लगी, और उसकी मेहनत रंग लाई। उसने रोहन को धन्यवाद देते हुए कहा, “तू सच में मेरा सच्चा दोस्त है। तूने मेरी बहुत मदद की।”

रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्ती का असली मतलब एक-दूसरे का साथ देना है, और मैं हमेशा तेरे साथ रहूँगा।”

इस घटना ने उन्हें यह सिखाया कि जीवन में सबसे बड़ी संपत्ति सच्ची मित्रता होती है। उन्होंने अपनी दोस्ती को और भी मजबूत बना लिया और गाँव में सभी के लिए एक मिसाल बन गए।

कहानी से सीख

सच्ची मित्रता में एक-दूसरे का साथ देना सबसे महत्वपूर्ण होता है। मुश्किल समय में अपने दोस्तों की मदद करना और एक-दूसरे के प्रति निष्ठा रखना, यही असली मित्रता का मूल्य है।

"मैं एक दसवीं कक्षा का छात्र हूँ, जो हिंदी साहित्य और कहानियों का शौक रखता हूँ। मेरी वेबसाइट पर आप विभिन्न प्रकार की हिंदी कहानियों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वो प्राचीन लोक कथाएँ हों, प्रेरणादायक कहानियाँ, या मनोरंजक लघु कहानियाँ। मेरा उद्देश्य हिंदी भाषा और उसकी समृद्ध साहित्यिक धरोहर को युवा पीढ़ी के बीच पहुँचाना है, ताकि उन्हें भी इन कहानियों के माध्यम से कुछ नया सीखने और सोचने का मौका मिले।"

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