गाँव के पास एक पुराना रास्ता था जिसे लोग “भूतिया रास्ता” कहते थे। गाँव के लोग वहाँ से गुजरने से कतराते थे, खासकर रात के समय। यह रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता था, और उस जंगल के बारे में अजीबोगरीब कहानियाँ प्रचलित थीं। कहते थे कि जो भी उस रास्ते पर रात के समय जाता, वापस लौटकर नहीं आता।
रवि, जो गाँव का नौजवान था, इन कहानियों पर यकीन नहीं करता था। वह अपने दोस्तों के बीच अक्सर मजाक में कहता, “अरे, भूत-वूत कुछ नहीं होते। यह सब सिर्फ डराने के लिए बनाई गई कहानियाँ हैं। मैं तो अकेले इस रास्ते से गुजर सकता हूँ।”
एक रात, रवि के दोस्तों ने उसे चुनौती दी कि वह उस भूतिया रास्ते से होकर गुजरे। रवि ने चुनौती स्वीकार कर ली और तुरंत रात के समय अकेले उस रास्ते पर चल पड़ा। उसके दोस्तों ने उसे रोका और कहा, “सोच लो, रवि। ये रास्ता वाकई खतरनाक है।” लेकिन रवि ने हंसते हुए उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया और अपनी साइकिल लेकर चल पड़ा।
रास्ते पर घना अंधेरा था, और हवा में एक अजीब सी ठंडक थी। रवि अपनी साइकिल तेजी से चला रहा था, लेकिन धीरे-धीरे उसे महसूस हुआ कि जंगल की शांति असामान्य रूप से भारी थी। हवा में हल्की सी सिहरन थी, और पत्तों की सरसराहट उसे अजीब सी महसूस हो रही थी।
जैसे ही वह रास्ते के बीच में पहुँचा, उसकी साइकिल की चेन अचानक अटक गई। रवि ने साइकिल रोकी और उतरकर चेन ठीक करने लगा। तभी उसे पीछे से किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। वह तुरंत पीछे मुड़ा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। उसने सोचा कि शायद उसकी सुनने की गलती होगी और वापस चेन ठीक करने में लग गया।
कुछ ही क्षणों बाद, उसे फिर वही आहट सुनाई दी, और इस बार आवाज़ ज़्यादा पास से आई। रवि का दिल अब तेजी से धड़कने लगा। वह फिर मुड़ा, लेकिन इस बार भी वहाँ कोई नहीं था। आसपास का माहौल अचानक बहुत भारी लगने लगा। हवा का शोर और तेज हो गया, और पत्तियाँ जोर से हिलने लगीं।
रवि अब थोड़ा घबरा चुका था। उसने जल्दबाजी में साइकिल की चेन ठीक की और तेजी से साइकिल चलाने लगा। लेकिन कुछ दूर जाने के बाद उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसके पीछे साइकिल के साथ-साथ दौड़ रहा हो। उसने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे एक परछाई सी दिखी जो उसके साथ-साथ चल रही थी।
वह अब बुरी तरह डर चुका था और तेज़ी से साइकिल चलाने लगा। लेकिन जितनी तेजी से वह साइकिल चला रहा था, वह परछाई भी उतनी ही तेजी से उसके पीछे आ रही थी। अचानक उसकी साइकिल का अगला पहिया किसी पत्थर से टकराया और वह गिर पड़ा। वह घबराकर उठने की कोशिश करने लगा, तभी उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ, जो उसके चेहरे पर लगा। वह डर से कांपने लगा।
रवि ने चारों ओर देखा, लेकिन कोई नहीं था। अचानक एक धीमी आवाज़ उसके कानों में गूंजी, “तुम यहाँ क्यों आए हो?” वह आवाज़ किसी स्त्री की थी, लेकिन वह इतनी भयानक थी कि रवि की साँसें रुक सी गईं। उसने डरते-डरते पूछा, “क-क-कौन हो तुम?”
अचानक उसके सामने एक धुंधली परछाई प्रकट हुई। वह कोई साधारण परछाई नहीं थी। उसका चेहरा विकृत और डरावना था। उसकी आँखें लाल थीं, और उसका शरीर हवा में तैर रहा था। रवि अब बिल्कुल समझ चुका था कि वह किसी भूतिया आत्मा से सामना कर रहा है।
वह घबराकर भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी टांगें कांप रही थीं और शरीर जैसे सुन्न हो गया था। तभी वह परछाई और पास आ गई और बोली, “यह मेरा रास्ता है। जो भी यहाँ आता है, उसे मैं अपने साथ ले जाती हूँ।”
रवि अब पूरी तरह डर से जकड़ा हुआ था। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन वह जमीन पर गिर पड़ा। तभी वह परछाई उसकी ओर झुकी और रवि को महसूस हुआ कि उसका दम घुट रहा है। वह चीखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी आवाज़ जैसे गले में फंस गई थी।
तभी अचानक वहाँ से एक ट्रक गुजरा और उसकी हेडलाइट्स की रोशनी से वह भूतिया परछाई गायब हो गई। ट्रक ड्राइवर ने रवि को जमीन पर बेहोश पड़ा देखा और उसे उठाकर गाँव ले आया। जब रवि को होश आया, तो उसने पूरी कहानी बताई, लेकिन उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह बच गया।
उस दिन के बाद रवि ने कभी उस रास्ते की ओर रुख नहीं किया और गाँव के बाकी लोग भी हमेशा के लिए मान गए कि उस रास्ते पर कुछ अलौकिक ताकतें हैं। अब गाँव में कोई भी उस रास्ते का नाम तक नहीं लेता, और लोग मानते हैं कि उस जंगल में आज भी वह आत्मा भटकती है, अपने अगले शिकार की तलाश में।
कहानी का सार:
यह कहानी बताती है कि हमें अपने बुजुर्गों की बातों को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए और हर जगह सेफ्टी का ध्यान रखना चाहिए।