काली रात की आहट
कहानी की शुरुआत एक गाँव से होती है जहाँ एक जोड़ा, सूरज और रिया, अपने दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बनाते हैं। ये गाँव अपनी डरावनी कहानियों के लिए प्रसिद्ध था। गाँव वालों का कहना था कि वहाँ एक खंडहर मंदिर है, जहाँ बुरी आत्माएँ रहती हैं। सूरज और रिया को ये बातें सिर्फ़ डराने वाली बातें लगती थीं, लेकिन उनके दोस्त फिर भी इसे देखने के लिए तैयार हो गए।
अगली रात, चारों अपने बैग पैक करके उस खंडहर मंदिर की ओर निकल पड़े। रास्ता अंधेरा था, और हवा में अजीब सी ठंडक थी। जैसे-जैसे वे मंदिर के करीब पहुँचते गए, एक अजीब सी सिहरन उनके शरीर में दौड़ने लगी। मंदिर की चौखट पर कदम रखते ही अचानक हवाओं में सनसनाहट होने लगी, जैसे कोई उनका स्वागत कर रहा हो।
मंदिर के अंदर घुसते ही उन्होंने देखा कि वहाँ हर तरफ़ गहरे अंधेरे में छोटी-छोटी आकृतियाँ झाँक रही थीं। रिया ने देखा कि मंदिर की दीवारों पर अजीब आकृतियाँ उकेरी हुई थीं, जो पहले कभी नहीं देखी थीं। जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्हें किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी। वे डर के मारे एक-दूसरे का हाथ पकड़कर धीरे-धीरे उस आवाज़ के पास बढ़ने लगे।
आवाज़ के पास पहुँचने पर उन्हें पता चला कि एक महिला एक पत्थर के सामने बैठी है और चुपचाप रो रही है। रिया ने हिम्मत जुटाकर उस महिला से पूछा, “आप कौन हैं?” महिला ने सिर उठाया, और उसके चेहरे पर इतने भयानक घाव थे कि देखते ही चारों की चीखें निकल गईं। वह बोली, “मैं यहाँ फँसी हुई हूँ। इस मंदिर की आत्माएँ मुझे जाने नहीं दे रहीं।”
सूरज ने उससे पूछा, “क्या हम तुम्हारी मदद कर सकते हैं?” वह महिला मुस्कुराई और उसके हंसने की आवाज़ पूरे मंदिर में गूंज उठी। उसकी हंसी इतनी खौफनाक थी कि सुनने वालों की रूह काँप उठे। वह महिला बोली, “तुम मेरी मदद नहीं कर सकते, क्योंकि अब तुम भी यहाँ से नहीं जा सकते।”
इतना कहने के बाद महिला गायब हो गई। तभी चारों ने देखा कि मंदिर का दरवाजा अपने आप बंद हो गया है। अंधेरे में सिर्फ़ उनके दिल की धड़कनें सुनाई दे रही थीं। वे दरवाजे की ओर भागे, लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।
हिम्मत जुटाकर, उन्होंने मंदिर के चारों ओर छानबीन शुरू की। अचानक रिया को मंदिर के बीचो-बीच एक पुराने ज़मीन पर गड़ा ताबूत दिखा। उत्सुकतावश उन्होंने उस ताबूत को खोलने का प्रयास किया, लेकिन जैसे ही ताबूत का ढक्कन हटा, चारों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। ताबूत के अंदर एक भयानक चेहरा था, जो न जाने कब से उनकी राह देख रहा था।
चेहरा बोलने लगा, “तुम लोगों ने मुझे यहाँ बंद करके बहुत बड़ी भूल की है।” सूरज को महसूस हुआ कि मंदिर की सभी दीवारें उनके पास सिमट रही हैं। वो चिल्लाने लगा, “हमें छोड़ दो! हमने कुछ नहीं किया!” लेकिन चेहरा उनकी चीखें सुनकर और जोर से हँसने लगा।
रिया ने झट से अपने गले की चेन खींची, जिसमें एक देवी की छोटी मूर्ति थी। उसने वह मूर्ति चेहरें के सामने दिखाई। अचानक, मंदिर की दीवारें हिलने लगीं, और चेहरा भयानक चीत्कार के साथ गायब हो गया। दरवाजा अपने आप खुल गया और चारों भागते हुए बाहर निकल गए।
जब वे गाँव लौटे, तो लोगों ने बताया कि उस मंदिर में एक साधु ने तंत्र-मंत्र के ज़रिए आत्माओं को बंद कर दिया था, जो वहाँ आने वालों को अपना शिकार बना लेती थीं। सूरज, रिया और उनके दोस्त कभी उस रात को नहीं भूले और उन्होंने कसम खाई कि फिर कभी अज्ञात जगहों पर नहीं जाएँगे।