पुनर्जन्म की अधूरी मोहब्बत – एक रहस्यमयी कथा

अध्याय 1 – पुराने हवेली की दस्तक

साल 2025।

अदिति एक प्रसिद्ध पत्रकार थी, जो रहस्यमयी घटनाओं पर स्टोरीज़ लिखती थी। एक दिन उसे उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव “नयनपुर” में 300 साल पुरानी एक वीरान हवेली की जानकारी मिली, जहाँ रात को किसी लड़की की रोने की आवाज़ें आती थीं।

अदिति ने वहां जाकर जांच करने का फैसला किया।

गाँव में पहुँचते ही लोग डर के मारे उस हवेली का नाम लेने से भी कतराते थे। उन्होंने कहा, “बिटिया, वहां मत जाना। रात में हवेली जाग जाती है।” लेकिन अदिति जिद्दी थी।

रात के 12 बजे वह अकेले ही उस हवेली में दाखिल हो गई।

अध्याय 2 – पहली मुलाक़ात

हवेली में कदम रखते ही एक ठंडी लहर उसके शरीर को छू गई। सब कुछ वीरान, लेकिन दीवारों पर कुछ पुरानी पेंटिंग्स थीं — उनमें से एक पेंटिंग ने अदिति का ध्यान खींचा। उसमें एक लड़की थी, हूबहू अदिति जैसी।

“ये मैं कैसे हो सकती हूं?” अदिति ने मन में सोचा।

और तभी…

“आरव… मत छोड़ो मुझे…” — एक मद्धम सी आवाज़ गूंज उठी।

अदिति चौक पड़ी।

“क.. कौन है?” वह कांपती हुई आगे बढ़ी, तभी उसे एक कमरा दिखा। कमरे का दरवाज़ा अपने आप खुल गया।

वहां एक पुरानी डायरी पड़ी थी।

अध्याय 3 – प्रेम का पहला जन्म (साल 1780)

डायरी की शुरुआत साल 1780 से होती थी।

“मेरा नाम अनया है। मैं ठाकुर सुरेश सिंह की बेटी हूँ। इस हवेली में पली-बढ़ी। और… मुझे एक साधारण सेनापति से प्रेम हो गया – आरव।”

डायरी के पन्नों में अनया और आरव की मुलाकातें, चोरी-छिपे मिलना, मंदिर में की गई कसमें और समाज के खिलाफ जाकर जीने का सपना दर्ज था।

लेकिन फिर…

“एक रात, पिताजी ने हमें साथ देखा। उन्होंने आरव को कैद करवा लिया और मुझे ज़हर देकर मारने की कोशिश की…”

अदिति के हाथ काँप उठे। आगे लिखा था—

“मैंने मरते हुए वचन लिया है, कि अगला जन्म होगा, तो उसे पूरा करुँगी… अधूरी मोहब्बत को मुकम्मल बनाऊँगी…”

अध्याय 4 – वर्तमान की परछाइयाँ

डायरी पढ़ते हुए अदिति रोने लगी। तभी उसके कानों में फिर वही नाम गूंजा — “आरव…”

उसी पल हवेली की दीवार पर लगा पेंटिंग अचानक चमक उठा। अदिति की आँखों के सामने सब घूमने लगा — जैसे किसी पिछले जन्म की फिल्म।

उसे याद आया — वो अनया है!

और आरव?

उसे शक हुआ — उसके ऑफिस में नया आए रिपोर्टर आरव मल्होत्रा जो अजीब सा उसे पहली मुलाकात में ही पहचानने की बात करता था, वही आरव हो सकता है।

अध्याय 5 – पुनः मिलन या फिर बिछोह?

अगले ही दिन अदिति ने आरव को बुलाया।

“तुम इस पेंटिंग को देखो… क्या कुछ महसूस होता है?”

आरव पेंटिंग देखते ही कांप गया।

“ये… ये तुम हो… अनया?”

अदिति की आँखें भर आईं। दोनों गले लग गए। लेकिन तभी एक रहस्यमयी ताकत ने कमरे को घेर लिया। हवेली के कोने से एक बूढ़ा तांत्रिक प्रकट हुआ।

“तुम्हारी मोहब्बत ने फिर से सीमा लांघी है। लेकिन नियति अब भी अधूरी है।”

“क्यों?” अदिति चीखी।

“पिछले जन्म में तुमने आत्महत्या की थी। आत्महत्या करने वालों को सजा मिलती है — दो जन्मों तक वो मिल नहीं सकते। ये दूसरा जन्म है। अगले जन्म तक इंतजार करना होगा…”

अध्याय 6 – अधूरी मोहब्बत का वचन

हवेली की दीवारें फिर से वीरान हो गईं। आरव और अदिति समझ गए कि उन्हें फिर से बिछड़ना है।

लेकिन इस बार वे मजबूर नहीं थे।

वे दोनों एक साथ रहने लगे — बिना मोहब्बत के पूर्ण मिलन के, पर सच्चे प्रेम के साथ।

अदिति ने डायरी के आखिरी पन्ने पर लिखा —

“हमारा प्यार अधूरा नहीं, बल्कि अमर है। अगले जन्म तक इंतज़ार रहेगा, लेकिन दिलों की दूरी अब नहीं। हम फिर मिलेंगे, अनया और आरव बनकर नहीं, पर अधूरी मोहब्बत को पूरी करने वाले बनकर।”

🌸 कहानी से सीख

सच्चा प्यार समय और जन्मों की सीमाएं नहीं मानता।

अधूरी मोहब्बत भी मुकम्मल हो सकती है, अगर दिलों में समर्पण हो।

रहस्य और पुनर्जन्म केवल कल्पनाएं नहीं — कई बार आत्मा खुद पुरानी कहानी दोहराती है।

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"मैं एक दसवीं कक्षा का छात्र हूँ, जो हिंदी साहित्य और कहानियों का शौक रखता हूँ। मेरी वेबसाइट पर आप विभिन्न प्रकार की हिंदी कहानियों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वो प्राचीन लोक कथाएँ हों, प्रेरणादायक कहानियाँ, या मनोरंजक लघु कहानियाँ। मेरा उद्देश्य हिंदी भाषा और उसकी समृद्ध साहित्यिक धरोहर को युवा पीढ़ी के बीच पहुँचाना है, ताकि उन्हें भी इन कहानियों के माध्यम से कुछ नया सीखने और सोचने का मौका मिले।"

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