चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है, और जब वह अपने विशालकाय दोस्त साबू के साथ होते हैं, तो कोई भी समस्या उनकी बुद्धिमत्ता और ताकत से बच नहीं सकती। इस बार, शहर में एक नया खतरा मंडरा रहा था—एक खतरनाक जोकर जो लोगों को डराने और परेशान करने का काम कर रहा था। वह अचानक से शहर के अलग-अलग हिस्सों में प्रकट होता और लोगों को अपनी खतरनाक चालों से भयभीत कर देता। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी उसकी हरकतों से परेशान थे।
इस जोकर का असली नाम “बिल्ला जोकर” था, और वह पहले एक सर्कस में काम करता था। लेकिन एक दुर्घटना में उसका करियर तबाह हो गया, और अब वह लोगों को तंग करने और अपने अंदर की नफरत निकालने के लिए शहर में कहर मचा रहा था। उसकी हरकतें दिन पर दिन बढ़ती जा रही थीं, और शहर के लोग परेशान होकर चाचा चौधरी के पास मदद के लिए आए।
शहर में बिल्ला जोकर का आतंक
चाचा चौधरी को जब बिल्ला जोकर के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत उसकी गतिविधियों पर ध्यान देना शुरू कर दिया। जोकर रात के समय सबसे ज्यादा सक्रिय होता था, और उसका उद्देश्य लोगों के बीच डर का माहौल पैदा करना था। वह मासूम बच्चों को डरा कर उनकी चीजें छीन लेता और रात के समय घरों की दीवारों पर डरावने चेहरे बनाकर लोगों को डराता।
एक रात, जब बिल्ला जोकर ने शहर के पार्क में एक परिवार को डराने की कोशिश की, तो चाचा चौधरी ने अपने दोस्तों से कहा, “अब समय आ गया है कि हम इस जोकर को उसके किए की सजा दें।”
चाचा चौधरी का प्लान
चाचा चौधरी ने एक योजना बनाई। उन्होंने साबू से कहा, “साबू, इस बार हमें कुछ चालाकी से काम करना होगा। बिल्ला जोकर का दिमाग भी तेज है, इसलिए हमें उससे एक कदम आगे रहना होगा।”
साबू ने गहरी आवाज में कहा, “चाचा जी, आप चिंता मत कीजिए, उस जोकर को मैं एक ही थप्पड़ में ठीक कर दूँगा।”
चाचा मुस्कुराए और बोले, “थप्पड़ मारने का वक्त भी आएगा, लेकिन पहले हमें उसे पकड़ने का सही तरीका सोचना होगा।”
चाचा चौधरी ने अपने बुद्धि का प्रयोग करते हुए बिल्ला जोकर को पकड़ने की योजना बनाई। उन्होंने तय किया कि वे बिल्ला जोकर को एक जाल में फँसाएंगे। इसके लिए उन्होंने शहर के एक बड़े मेले का आयोजन करवाया, जहाँ लोग भारी संख्या में आते थे। बिल्ला जोकर को यकीनन इस मेले में आने का मौका मिलेगा, क्योंकि जहाँ भी भीड़ होती थी, वह वहाँ जाकर अपनी शैतानी करतूतें करता था।
मेले में बिल्ला जोकर
मेला शुरू हुआ, और शहर के लोग बड़ी संख्या में मेले में आए। चाचा चौधरी और साबू ने मेले में अपनी निगरानी बढ़ा दी। चाचा चौधरी की नजर हर कोने में थी, और साबू भी सतर्क था। मेले की रौनक और खुशियों के बीच कहीं न कहीं बिल्ला जोकर अपनी चाल चलने के लिए तैयार था।
बिल्ला जोकर का अंदाज हमेशा अजीब और डरावना होता था। वह लोगों के बीच हंसते-हंसते अचानक डरावना चेहरा बना लेता और बच्चे चिल्ला उठते। अचानक, एक जगह से तेज हंसी की आवाज आई। चाचा चौधरी ने साबू को इशारा किया और दोनों उस दिशा में चल पड़े। वहाँ, बिल्ला जोकर एक बच्चे को अपने डरावने मुखौटे से डरा रहा था।
चाचा चौधरी ने उसे चुपचाप घेर लिया और कहा, “बिल्ला जोकर, तुम्हारी शरारतें अब खत्म हो गई हैं। अब तुमसे बचना मुश्किल होगा।”
जोकर हंसते हुए बोला, “चाचा चौधरी, तुम मुझे पकड़ने आए हो? मेरे साथ खेल खेलने के लिए तैयार हो जाओ!”
चाचा चौधरी का सामना
चाचा चौधरी शांत रहे। उन्होंने बिल्ला जोकर से कहा, “तुम चाहे जितनी भी चालें चलो, तुम बच नहीं सकते। मैंने पहले से ही तुम्हारी हरकतों का अंदाजा लगा लिया है। अब या तो खुद को पुलिस के हवाले कर दो, या फिर…”
बिल्ला जोकर ने चाचा की बात को मजाक में लिया और अचानक से एक धुआं फैलाने वाला बम चलाया। धुआं चारों ओर फैल गया और बिल्ला जोकर गायब हो गया। चाचा चौधरी ने तुरंत अपनी घड़ी से एक खास बटन दबाया, जो साबू को इशारा देता था। साबू ने तुरंत धुएं से बाहर निकलते ही अपनी विशालकाय शक्ति से हवा में जोरदार थप्पड़ मारा, जिससे धुआं एक पल में छंट गया।
अब बिल्ला जोकर कहीं छुपा हुआ था। चाचा चौधरी ने अपनी तेज बुद्धि का उपयोग किया और सोचा, “जोकर लोगों के डर का फायदा उठाकर उन्हें कमजोर बनाता है। लेकिन अगर हम उसे उसी के खेल में उलझा दें तो वह घबरा जाएगा।”
जोकर का पीछा
चाचा चौधरी ने सोचा कि जोकर कहीं आसपास ही होगा। उन्होंने साबू से कहा, “साबू, इस बार जोकर को पकड़ने का तरीका थोड़ा अलग है। हम उसे डराकर ही काबू में करेंगे।”
साबू ने चाचा की योजना को समझते हुए उनकी बात मानी। चाचा चौधरी और साबू दोनों जोकर के पीछे लगे और उसे अलग-अलग जगहों पर परेशान करने लगे। चाचा चौधरी अपनी चालाकी से जोकर को हर जगह उलझा रहे थे और साबू अपनी ताकत से उसे हर बार एक कदम आगे बढ़ने से रोक रहा था।
बिल्ला जोकर अब समझ चुका था कि वह चाचा चौधरी और साबू के सामने टिक नहीं सकता। वह जितनी बार बचने की कोशिश करता, उतनी ही बार चाचा चौधरी उसे फंसा लेते। अंत में, बिल्ला जोकर थक गया और उसने हार मान ली।
बिल्ला जोकर की हार
जोकर ने घुटनों के बल बैठते हुए कहा, “चाचा चौधरी, मैं हार गया। मैं सिर्फ अपने जीवन की कठिनाइयों से भाग रहा था। मैं नहीं चाहता था कि लोग मुझसे नफरत करें, लेकिन मैंने गलत रास्ता चुना।”
चाचा चौधरी ने उसकी ओर देखा और कहा, “जोकर, तुम्हारे अंदर जो क्रोध और नफरत है, उसे दूसरों को डराने में नहीं निकालना चाहिए। तुमने गलत किया, लेकिन हर इंसान को एक मौका दिया जा सकता है, अगर वह अपनी गलतियों को स्वीकार करे।”
साबू ने अपनी बड़ी आवाज में कहा, “लेकिन तुमने लोगों को बहुत परेशान किया है, तुम्हें इसकी सजा जरूर मिलेगी।”
चाचा चौधरी ने कहा, “हमें उसे सजा देने के बजाय, उसे सही रास्ता दिखाना चाहिए। पुलिस उसे जरूर सजा देगी, लेकिन अगर वह अपने व्यवहार में सुधार लाए, तो शायद समाज उसे माफ कर दे।”
अंत में नया बदलाव
चाचा चौधरी और साबू ने बिल्ला जोकर को पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने उसे उसके किए की सजा दी, लेकिन साथ ही उसे एक मौका भी दिया कि वह अपने जीवन को सुधार सके। जोकर ने सजा के बाद समाज सेवा का काम शुरू किया और अपनी गलतियों का प्रायश्चित किया।
कुछ महीनों बाद, वही बिल्ला जोकर जो कभी लोगों को डराता था, अब बच्चों के साथ खेलता और उन्हें हंसाता था। उसने अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी और यह सब चाचा चौधरी की बुद्धिमानी और साबू की ताकत की बदौलत संभव हो सका।
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, अगर सही मार्गदर्शन मिले, तो हर कोई अपने जीवन में बदलाव ला सकता है। चाचा चौधरी की समझदारी और साबू की ताकत ने फिर एक बार साबित कर दिया कि सच्चाई और अच्छाई हमेशा जीतती है।
कहानी से सीख
गलतियाँ इंसान से होती हैं, लेकिन अगर उन्हें सुधारने का मौका मिले, तो कोई भी इंसान अपनी जिंदगी को सही दिशा में ले जा सकता है।